Saturday, September 10, 2011

गंगेया, बागमती और बाढ़


प्रसिद्ध रचनाकार रामबृक्ष बेनीपुरी का गांव बेनीपुर इतिहास के पन्नों में खो गया। स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़ संयुक्त बिहार विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष स्व0 राम दयालु सिंह, भारत के प्रथम राश्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के मित्र, विधायक स्व0 मथुरा प्रसाद सिंह, स्वतंत्रता सेनानी स्व0 ब्रह्मदेव सिंह, प्रसिद्ध अर्थषास्त्री प्रो0 अजीत प्रसाद सिंह, समाजिक कार्यकर्ता चन्द्रकांत मिश्र, दिग्विजय सिंह और दिलीप सिंह का गांव गंगेया गंगेया अपना अस्तित्व खोने के कगार पर है। कारण - बिहार सरकार-बागमती के बहाव को नियंत्रित करना चाहती है।

सन् 1977 से बागमती पर बांध निर्माण रूका हुआ था, लेकिन नितीष सरकार की अतिसक्रियता से यहां फिर से बांध निर्माण षुरू हो गया है। बड़े बांधों की उपादेयता अभी भी विवादास्पद है। बिहार में कोषी नदी परियोजना अभी तक चल रही है इसके बावजूद सरकार ने बागमती को बांधने का कार्य तेज कर दिया है और सरकार की इस जिद की कीमत चुकाएगा आम आदमी।

बागमती बांधने की तैयारी तो हो गई लेकिन जल भराव क्षेत्र में आने वाले लोगों के समुचित विस्थापन की कोई योजना अभी तक नहीं बनी है। मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी जिले के सैकड़ों गांवों के हजारों लोग बेहाल हैं। सब कुछ किस्मत के हवाले हैं। संपन्न किसान तो कहीं भी ठिकाना ढूंढ लेंगे लेकिन आम आदमी क्या करे। उनकी आवाज की कहीं कोई सुनवाई नहीं है।

बात केवल डूब क्षेत्र की ही नहीं है। इस बांध के बनने से कई और समस्याएं खड़ी हो गई है। छोटे-मोटे, नदी-नाले जो बागमती की षक्ति बढ़ाते थे उन्हें बांध कर बागमती में जाने में रोक दिया गया। परिणाम सामने है - नेपाल से आने वाली ‘मानुशमारा’ नदी को बागमती में मिलाने से रोक दिया गया तो सीतामढ़ी जिले के रून्नी सैदपुर क्षेत्र में तकरीबन दस हजार हेक्टेयर जमीन दलदल में तब्दील हो गई।

अब ये दलदल सैकड़ों तरह की बीमारियों का जनक है। ये जगजाहिर तथ्य है कि बड़ी नदियों को बांधने से कालाजार, मलेरिया, मेनेन्जाईटिस, जापानी बुखार जैसी बीमारियां फैलती हैं। मच्छर-मक्खियों का प्रकोप भी बढ़ेगा। ये तथ्य दामोदर घाटी परियोजना पर नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक सर रोनाल्ड रोस के अध्य्यन से स्पश्ट है।

बिहार वर्शों से बाढ़ की विभिशका से जूझ रहा है। हर साल लाखों लोग इससे प्रभावित होते रहे हैं और अरबों की संपत्ति बर्बाद हो जाती है। कई अध्य्यनों में विषेशज्ञों ने बिहार में बाढ़ की वजह बांध को बताया है। फिर भी ठेकेदार, ब्यूरोक्रट्स और राजनीतिज्ञों के गठजोड़ की वजह से सत्ता हमेषा से बड़े बांधों के पक्ष में खड़ी दिखती है।

फिलवक्त बिहार सरकार के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं है फिर बांधों की देख-रेख कैसे होगी? पहले से ही बाढ़ की समस्या से जूझ रही बिहार सरकार इससे निजात पाना चाहती है या इस समस्या को और बढ़ाना चाहती है - ये तो बता पाना मुष्किल है। लेकिन बिहार सरकार के क्रिया-कलाप से अभी तो यही लगता है कि सरकार बाढ़ की समस्या को सुलझाना नहीं चाहती है। आखिर स्वतंत्रता आंदोलन का गढ़ गंगेयावासी क्या करंे?

Monday, August 8, 2011


प्रिय महोदय / महोदया,

अपनी मशहूर किताब स्माल इज ब्यूटीफुल से विचारों की दुनिया में हलचल मचा देने वाले लेखक अर्नेस्ट फ्रेडरिक शुमाकर का यह जन्म शताब्दी वर्ष है। इस मौके पर 16 अगस्त 2011 को दिल्ली में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। जिसका विवरण निम्न है –

विषय – वर्तमान संदर्भों में ई एफ शुमाकर के विचारों का महत्व

कार्यक्रम

दिनांक : 16 अगस्त 2011

समय : सुबह 11 बजे

स्थान : राजधानी कॉलेज, ऑडिटोरियम

दिल्ली विश्वविद्यालय

राजा गार्डन, नई दिल्ली

कृपया वक्त पर पधारने का कष्ट करें।

शुभकामनाओं के साथ

जैविक खेती अभियान

फोन 00919213295509 javik@rediffmail.com

Dear Sir/ Madam

We are pleased to inform you that Birth Centenary of Ernst Friedrich Schumacher (Author of Small is Beautiful) - is being celebrated on 16th August, 2011 in Delhi.

Sub: - Significance of E.F. Schumacher’s thoughtSmall is Beautiful- in present Context.

Programme:

Date: 16th August 2011

Time: 11 AM onward

Place: Rajdhani College Auditorium

(University Of Delhi)

Raja Garden, New Delhi

Kindly record it in your engagement diary

With Regards,

Jaivik Kheti Abhiyan(campaign for organic farming)

00919213295509

javik@rediffmail.com

Wednesday, August 3, 2011